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31 जनवरी अग्रनगर जैन स्थानक लुधियाना

ख्वाहिशें थम जांए जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी महाराज सा. रास्ते कहां ख़त्म होते हैं, जीवन के सफर में । मंजिलें वही हैं, बस ख्वाहिशें थम जाए । आज शरीरक्षहाथ, पैर काम नहीं कर रहे हैं । काया की दौड़ रुकी है, पर मन ताकतवर है । बुजुर्ग आदमी का शरीर रुक गया, पर जबान नहीं …

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30 जनवरी अग्रनगर जैन स्थानक लुधियाना

तुलना ? जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी महाराज सा. अगर आप सदा स्वयं की दुसरों के साथ तुलना करते रहते हैं तो आप अवश्य ही अहंकार या अवसाद के शिकार हो जाएंगे । आपको अपनी जिंदगी की दूसरों से तुलना करने की जरूरत नहीं है। बल्कि अपने ढंग से जीने की जरूरत है । अगर आपसे …

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29 जनवरी अगरनगर लुधियाना

खुदा पर भरोसा रखो जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी महराज सा. खुदा वो नहीं देता,जो आप चाहते हो, लेकिन खुदा वो देता है, जो तुम्हारे लिए अच्छा रहे। आप अगर बीमार है तो डॉक्टर के पास जांए बीमारी बताएं । यहां तक तो ठीक है, लेकिन आप बीमारी भी बताएं और दवा भी स्वयं ही बताएं …

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28 जनवरी अग्रनगर

महिला घर की लक्ष्मी होती है जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी महाराज सा. महिला घर की लक्ष्मी होती है, महिला घर की इज्जत होती है। उसका पुण्यशाली एवं सहनशील होना आवश्यक है । पुण्यशालीता के लिए प्रभु भक्ति सत्संग के साथ ही जरूरतमंद को आवश्यक सामग्री दान देना एक ढंग से परिवार के नसीब को चमकाना …

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27 जनवरी जनपथ लुधियाना

सूर्य कभी अस्त नहीं होता जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी म.सा. भक्तामर स्तोत्र श्लोक नंबर 17 प्रार्थना- जीवन को सफल बनाना है, सत्संग का लाभ उठाना है। जीवन को सफल बनाने के लिए लोकोत्तर पुरुष तीर्थंकर भगवंतो की भावात्मक सत्संग का प्रयास किया है। दुनियां में इससे श्रेष्ठ और कोई संगति नहीं हो सकती, क्योंकि शरीर …

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26 जनवरी सुन्दरनगर लुधियाना

उच्चारण नहीं उच्च आचरण हो जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी महराज.सा. आदमी साधनों से नहीं साधना से श्रेष्ठ बनता है । आदमी भवनों से नहीं भावना से श्रेष्ठ बनता है । आदमी उच्चारण से नहीं उच्च आचरण से श्रेष्ठ बनता है। आधुनिक युग में बंगले, गाड़ी, कपड़े, ज्वेलरी से लोग अपने आपको ऊंचा प्रतिष्ठापित करने में …

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25 जनवरी सुंदरनगर जैन स्थानक लुधियाना

जिंदगी एक भोर है जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी महराज सा. होकर मायूस ना,यूं शाम की तरह ढलते रहिए । जिंदगी एक भोर है, सूरज की तरह निकलते रहिए । आपने जिंदगी को किस पक्ष से पकड़ रखा है । उदयपक्ष से या अस्त पक्ष से । याने कि अनुकूल पक्ष और दूसरा प्रतिकूल पक्ष । …

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24 जनवरी सुंदरनगर जैन स्थानक

जबान सुधरे तो जीवन सुधरे जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी महराज.सा. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की जबान सुधर जाए तो जीवन सुधरते देर नहीं लगती । दशवैकालिक सुत्र में आया है कि- सुवक्क सुद्धिं समुपेहिया मुणि । हर व्यक्ति को चाहिये कि उसकी वाक्य शुद्धि हो और दृष्टि सम्यक् हो । तो वो सर्वत्र प्रशंसा …

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23 जनवरी सुंदरनगर लुधियाना

मिलते रहोगे तो जिंदा रहोगे जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी महाराज सा. लोग अक्सर कहते हैं, जिंदे रहें तो फिर मिलेंगे । लेकिन एक सच्चे दोस्त ने क्या खूब कहा कि मिलते रहोगे तो जिंदा रहोगे । वो दोस्त कौन जिससे मिले । वो है, अरिहंतों की वाणी । संतों की सत्संग । जिनवाणी सुनते रहोगे …

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22 जनवरी सिविल लाइन

जहां मन मिले जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी महाराज सा. सुकून वहां नहीं, जहां धन मिले सुकून वहां है जहां मन मिले । परेशान वो है, जो दूसरों का मूल्यांकन करता है । प्रसन्न वो है जो अपना मूल्यांकन करता है । दुनिया में कोई आदमी, सामान्य नही है । हर आदमी विलक्षण है। अंगूठे से, …

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22 जनवरी हैप्पी होम

हार्दिक आमंत्रण सादर अभिवादन 22 जनवरी रविवारीय प्रवचन हैप्पी होम प्रवचनकार प्रकांड विद्वान जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म.सा. हमारे सत्प्रयत्नों से परम पूज्य युगदृष्टा प्रकांड विद्वान महायोगी आचार्य प्रवर श्री ज्ञानचंद्र जी म.सा. का 22 जनवरी रविवार का प्रवचन सिविल लाइन 37 ग्रीन पार्क लुधियाना में होने की स्वीकृति प्रदान की है । इस दिन …

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21 जनवरी शिवपुरी जैन स्थानक लुधियाना

जैसा चाहो वैसा बनो जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी महाराज सा. जो तुम सोचते हो, वो हो जाओगे। यदि तुम खुद को कमजोर सोचते हो तो कमजोर हो जाओगे । अगर खुद को ताकतवर सोचते हो तो ताकतवर हो जाओगे । सब कुछ अपनी सोच पर निर्भर करता है । संस्कृत में सूक्ति आती है- याद्दशी …

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20 जनवरी शिवपुरी लुधियाना

जमाना क्या सोचेगा जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी महाराज सा. जमाना क्या सोचेगा, यह मत सोचो । क्योंकि जमाना नाकाम लोगों का मजाक उड़ाता है और कामयाब लोगों से जलता है । जब तक आप खुद दुखी नहीं होना चाहते तब तक आपको कोई दुखी नहीं कर सकता है । दुख और सुख दोनों हम ही …

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19 जनवरी शिवपुरी लुधियाना

हेरिडिटी ऐसे बदले जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी म.सा. चलाकियों से कुछ समय तक किसी को प्रभावित किया जा सकता है । पर किसी का दिल जीतने के लिए सरलता और सहजता आना जरूरी है । एक गधे को खेतों में घास अनाज खाने पर डंडों से किसानों ने पीटा तो वो जंगल में गया । …

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17 जनवरी ऋषि नगर लुधियाना तुम दुनिया में रहो जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी म.सा.

17 जनवरी ऋषि नगर लुधियाना तुम दुनिया में रहो जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी म.सा. कोशिश करो कि दुनियां में तुम रहो । लेकिन तुम में दुनियां न रहे । किश्ती, पानी में तब तक तैरती है जब तक पानी में रहती है पानी, जब किश्ती में आ जाता है तो डूब जाती है । इंसान …

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16 जनवरी हिरो होम लुधियाना जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म.सा .

16 जनवरी हिरो होम लुधियाना जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म.सा . तुम्हारी कथा भी पापहारी है आस्तां तव स्तवनमस्त- समस्त दोषं, त्वत्संकथाऽपि जगतां दुरितानि हन्ति । दूरे सहस्रकिरणः कुरुते प्रभैव, पद्माकरेषु जलजानि विकासभाजि ॥ ९ ॥ तव- तुम्हारा अस्तसमस्तदोषं- निर्दोष, समस्त दोषों से रहित स्तवनम्- स्तवन दूरे आस्ताम्- दूर रहे त्वत्संकथा- आपकी कथा अपि- भी …

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15 जनवरी न्यू किचलू नगर जैन स्थानक लुधियाना अपनी औकात का पता लगता है जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी महाराज.सा.

15 जनवरी न्यू किचलू नगर जैन स्थानक लुधियाना अपनी औकात का पता लगता है जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी महाराज.सा. गिरना भी अच्छा है, जब अपनी औकात का पता लगता है । बढ़ते हैं हाथ उठाने को,तब पता चलता है कौन अपना है । आदमी की जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं । दोनों बराबर रहे …

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14 जनवरी मकर सक्रांति लुधियाना मेरा है वह सत्य नहीं जो सत्य है वो मेरा है जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म.सा.

14 जनवरी मकर सक्रांति लुधियाना मेरा है वह सत्य नहीं जो सत्य है वो मेरा है जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म.सा. 14 जनवरी मकर सक्रांति के रोज श्री णमोत्थुणं महाजाप में हैबोवाल जैन स्थानक का हॉल खचाखच भर गया । आचार्य प्रवर श्री ज्ञानचंद्र जी म.सा. ने णमोत्थुणं पाठ का महत्व समझाया । इसी के …

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13 जनवरी हैबोवाल लुधियाना आत्मा एक है जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी म.सा.

13 जनवरी हैबोवाल लुधियाना आत्मा एक है जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी म.सा. मंदिर में ज्योत, दरगाह में दिया, गुरुद्वारे में ज्योति, गिरजाघर में मोमबत्ती, सबकी लौ एक हैं। इसी तरह सबका मालिक एक है खून जिसका भी हो, सबका रंग एक है । कैसे पता लगाया जाए कि बेगाना कौन और अपना कौन है.? भगवान …

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12 जनवरी हैबोवाल लुधियाना परिवर्तन हो,पर सही हो जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी महराज.सा

12 जनवरी हैबोवाल लुधियाना परिवर्तन हो,पर सही हो जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी महराज.सा. केवल सच से ही काम नहीं चलता, सच्चा भी हो और अच्छा भी हो, तभी सही बैठता है । सच्चा हो लेकिन मधुर हो, प्रिय हो। कड़वी बात हो तो बोली न जाए। संत मुनिराजों के लिए शास्त्रों में बतलाया है कि …

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11 जनवरी हैबोवाल तरीका सही हो जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म. सा.

11 जनवरी हैबोवाल तरीका सही हो जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म. सा. जिस प्रकार घिसकर काटकर पीटकर तपाकर सोने की परख की जाती है उसी तरह नवकार जाप नमन , नवकारसी, दान और समायिक करने से भव्यों की आत्मा खरे सोने की तरह चमकने लगती है । हर व्यक्ति को सवेरे उठकर 108 बार नवकार …

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2 जनवरी 2023 धर्म हृदय में धार जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म.सा.

2 जनवरी 2023 धर्म हृदय में धार जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म.सा. धर्म को हृदय में धारण करने के लिए हृदय का स्वच्छ, निर्मल, पवित्र होना आवश्यक है। जब तक आधार पात्र सही नहीं होगा तब तक – आधेय जो वस्तु उसमें आनी है। वह आ नहीं सकती। अतः आधार को पवित्र करना होगा। हमें …

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1 जनवरी 2023 बाल न बांका होय

1 जनवरी 2023 बाल न बांका होय जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी म.सा. कबीरदास जी का एक दोहा आता है चक्की चले तो चलने दे पीस पीस आटा होए जो खूंटा के लागा रहे, तो बाल न बांका होय । इस दोहे में यह समझाया गया है कि जो गेहूं पीसने वाली चक्की चलती है तो …

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31 दिसंबर कपुरथला

31 दिसंबर कपुरथला प्रभु का नाम प्राणों में उतारें जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म. सा. माला में 108 मणियें होते हैं। जैन दृष्टि से नवकार के पांच पदों के 108 गुण बतलाए गए हैं। अरिहंताणं के 12 सिद्धाणं के 8 आयरियाणं के 36 उवज्झायाणं के 25 सव्वसाहुणं के 27 कुल 108 गुण होते है। इसी …

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30 दिसंबर कपुरथला

30 दिसंबर कपुरथला जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी म.सा. भक्तामर किसकी स्तुति है..? जैन समाज के मुख्य रूप से चार विभाग हैं- दिगंबर,मूर्तिपूजक, स्थानकवासी और चौथा तेरापंथी। एक नग्न रहते हैं ,दूसरे मुख वस्त्रिका हाथ में रखते हैं, तीसरे मुख्यवस्त्रिका चौड़ी और मुंह पर रखते हैं । चौथे जो तेरापंथी है वे मुखवस्त्रिका लंबी रखते हैं …

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29 दिसंबर कपुरथला

29 दिसंबर कपुरथला लक्ष्मी जबर्दस्ती आती है जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म. सा. स्तोत्र-स्त्रजं तव जिनेन्द्र ! गुणैर्निबद्धाम्, भक्त्या मया रूचिर-वर्ण-विचित्र-पुष्पाम् । धत्ते जनो य इह कंठगता- मजस्रम् । तं मानतुंग-मवशा समुपैति लक्ष्मीः ।। आचार्य श्रीमानतुंग जी ने प्रभु को संबोधित करते हुए कहा है कि- हे जिनेंद्र देव! –विचित्र पुष्प रूप आपके गुणों से …

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18 जनवरी न्यू टैगोर नगर

परमात्मा: दिल खोलते हैं जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी म.सा. बुद्धिमान इंसान आपका दिमाग खोल देता है । सुंदर इंसान आपकी आंखें खोल देता है । लेकिन परमात्मा आपका दिल खोल देता है । अतः परमात्मा की भक्ति करिये। आधुनिक युग,सेंसर का आ चुका है । सेंसर लगने पर पत्थर काटने वाली मशीनों के बीच हाथ …

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28 दिसंबर दृष्टि सम्यक बनावें

28 दिसंबर दृष्टि सम्यक बनावें भक्तामर जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म. सा. चांदनी के बीच चेतन की चांदनी को जगाने की आवश्यकता है। आयुष्य की यह चांदनी जिन्दगी को समझने का मौका दे रही है। हम उसके स्वरूप को पहचाने व अंधेरे में भी चाँदनी की तरह रहना सीख जाए। जिस प्रकार प्राचीन युग में …

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27 दिसंबर कपुरथला

27 दिसंबर कपुरथला अद्भुत विभूति है अरिहंतों की जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी म.सा. इत्थं यथा तव विभूति- रभूज् – जिनेन्द्र्र ! धर्मोपदेशन – विधौ न तथा परस्य। यादृक् – प्र्रभा दिनकृत: प्रहतान्धकारा, तादृक्-कुतो ग्रहगणस्य विकासिनोऽपि जैसी विभूति आपकी है वैसी किसी की नहीं है । धर्मोपदेश देने की विधि भी आप जैसी किसी की नहीं …

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26 दिसंबर कपुरथला

26 दिसंबर कपुरथला कौन रोक सकता है जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी म.सा. सम्पूर्ण- मण्डल-शशांक – कला-कलाप- शुभ्रा गुणास् – त्रि-भुवनं तव लंघयन्ति। ये संश्रितास् – त्रि-जगदीश्वरनाथ-मेकं, कस्तान् निवारयति संचरतो यथेष्टम् ये जो जिंदगी की किताब है वो किताब भी क्या किताब है इंसान जिल्द संवारने में व्यस्त हैं और पन्ने बिखेरने को बेताब है । …

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25 दिसंबर रविवार बचने का तरीका

25 दिसंबर रविवार बचने का तरीका जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी म.सा. अप्पाखलु सययं रक्खियव्वो, सव्विंदिएहिं सुसमाहिएहिं । अरक्खिओ जाइपहं उवेइ, सुरक्खिओ सव्वदुहाण मुच्चइ।। निश्चय ही अपनी आत्मा की रक्षा करनी चाहिये । सभी इंद्रियों पर नियंत्रण करके और अपन को सुसमाधि में ला करके जो आत्मा की रक्षा नहीं करता वो एकेन्द्रीय से पंचेन्द्रिय तक …

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24 दिसंबर कपुरथला

24 दिसंबर कपुरथला सद्धर्म तत्व कथनैक जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी म.सा. स्वर्गापवर्ग – गम – मार्ग – विमार्गणेष्ट:, सद्धर्म- तत्त्व – कथनैक – पटुस्-त्रिलोक्या:। दिव्य-ध्वनि-र्भवति ते विशदार्थ-सर्व- भाषास्वभाव-परिणाम-गुणै: प्रयोज्य: हे प्रभु, आपकी दिव्य देशना, विशद अर्थ वाली है, समवसरण में जो जैसा भी प्राणी बैठा हो, चाहे पशु हो पक्षी हो, इंसान हो या देवता …

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23 दिसंबर सुभानपुर

23 दिसंबर सुभानपुर भामंडल प्रभु का जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी म.सा. शुम्भत्-प्रभा- वलय-भूरि-विभा-विभोस्ते, लोक – त्रये – द्युतिमतां द्युति-माक्षिपन्ती। प्रोद्यद्- दिवाकर-निरन्तर – भूरि -संख्या, दीप्त्या जयत्यपि निशामपि सोमसौम्याम् हे प्रभु आपका शुम्भत्- स्वच्छ प्रभावलय अतिशय तेज युक्त है। तीनों लोक में जितने भी कांतिवान- चमकदार जीवा जीव तत्व है । उनकी प्रभा को भी तिरस्कृत …

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22 दिसंबर | सामने आ गयाः मदोन्मत्त हाथी

22 दिसंबर सामने आ गयाः मदोन्मत्त हाथी जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म. सा. करो प्यारे प्रभु भक्ति अगर संसार तिरना है। प्रभु की भक्ति इंसान को संसार रूपी समुद्र से तिराने वाली बन सकती है। सबसे बड़ा समुद्र- संसार समुद्र ही है। इससे बडा कोई समुद्र नहीं है। जिसके अन्दर 84 लाख योनियाँ होती है। …

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21 दिसंबर रैया

21 दिसंबर रैया दिव्य वाणी जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी म.सा. मन्दार-सुन्दर-नमेरु-सुपारिजात संतानकादि-कुसुमोत्कर-वृष्टिरुद्धा। गन्धोद-बिन्दु-शुभ-मन्द-मरुत्प्रपाता, दिव्या दिवः पतति ते वयसां ततिर्वा आपके महा अतिशय कारी मुख से जो दिव्य देशना के रूप में वचन बाहर आते हैं तब सुगंधित जल की बूंदों से मुक्त सुखद और मंद वायु के झोंकों के साथ बरसने वाले मंदार, सुंदर,नमेरु, सुपारिजात, …

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20 दिसंबर, खिलचियां जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म.सा.

20 दिसंबर, खिलचियां जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म.सा. दुंदुभी नाद श्लोक नंबर 32 गम्भीर-तार-रवपूरित-दिग्विभागस्- त्रैलोक्यलोकशुभसंगमभूतिदक्षः सद्धर्मराजजयघोषणघोषकः सन्, खे दुन्दुभिर्ध्वनति ते यशसः प्रवादी | गंभीर, तेज फिर भी मधुर आवाज से दसों दिशाओं को पूरित करने वाली तीन लोक के जीवों को शुभ सभागम की विभूति वैभव देने में सक्षम सुधर्म के राजा तीर्थंकर की यह …

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19 दिसंबर जंडियाला गुरू सोने के कमल

19 दिसंबर जंडियाला गुरू सोने के कमल जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी म.सा. चरम तीर्थकर प्रभु महावीर ने समस्त आत्माओं का हित व- कल्याण करने के लिए दिव्य देशना देना प्रारंभ किया, प्रभु- महावीर की वाणी को जीवन में उतारने की लिए, गुणानुवाद करना आवश्यक हो जाता है। जैन शास्त्रों में सर्वप्रथम विनय बतलाया है। विनय …

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18- दिसंबर रविवार, जंडियाला गुरु देवलोक के नाथ है- गणधर

18- दिसंबर रविवार, जंडियाला गुरु देवलोक के नाथ है- गणधर “भक्त के द्वारा भगवान का स्मरण आवश्यक माना जाता है। क्योंकि जिस प्रकार का मन में चिंतन हम करेंगे उसी प्रकार का परिणमन होना शुरू हो जाता है, जैसे आपके विचार होंगे आपकी आचरण क्रिया भी उस रूप में बदलती चली जाएगी, Science कहती है …

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17 दिसंबर शनिवार होटल हवेली जंडियाला गुरु

17 दिसंबर शनिवार होटल हवेली जंडियाला गुरु तीन छत्र प्रभु के जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म.सा. प्रभु सुमिरन में सार……. किश्ती को पार लगाने के लिए प्रभु का स्मरण आवश्यक माना गया है । बल्कि यह माना जाए कि सबसे पहला काम प्रभु का स्मरण है । क्योंकि व्यक्ति कोई भी काम करता है तो …

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