जबान सुधरे तो जीवन सुधरे
जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी महराज.सा.
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की जबान सुधर जाए तो जीवन सुधरते देर नहीं लगती ।
दशवैकालिक सुत्र में आया है कि-
सुवक्क सुद्धिं समुपेहिया मुणि । हर व्यक्ति को चाहिये कि उसकी वाक्य शुद्धि हो और दृष्टि सम्यक् हो । तो वो सर्वत्र प्रशंसा का पात्र बनता है ।
सत्य होने के साथ भाषा हितकारी, मितकारी और पथ्यकारी होनी चाहिये ।
सत्य हो लेकिन कड़वा हो तो वह सत्य भी उपादेय नहीं बन पाता।
सम्मान पूर्ण भाषा बोलने से उसके खानदान का परिचय स्वतः मिल जाता है ।
मारवाड़ी में कहावत है
जो कोटे सो होटे ।
जो पेट में होगा, वो जबान पर आएगा ही ।
यदि प्याज, लहसुन खा रखा है तो बाद में कितनी भी इलायची खा ले तो भी डकार आते ही दुर्गंध बाहर आएगी ही ।
इसलिए अंदर को सम्यक् बनाइये तो वाणी भी मधुर बनेगी ।
मोणेण मुनि होई ।
मौन रखने वाला मुनि होता है।
इसका मतलब यह नहीं कि मुनि मौन ही रहता है बल्कि इसका मतलब यह है कि दोष रहित भाषा बोलने वाला साधु एक ढंग से मौन ही है । यह समझा जाता है ।
जिस प्रकार पानी को फिल्टर करके पिया जाता है इसी प्रकार आपको किसी का जवाब भी देना हो तो अगर कोई आपके साथ अप्रिय या अनुचित व्यवहार कर रहा है तो आप सहन करते रहो, ऐसी बात नहीं है ।
जैन शास्त्रों में अन्याय के प्रतिकार की बात कही है ।
उनका कहना है कि न निरोध हो,न विरोध हो लेकिन संशोध हो।
आपको अहिंसात्मक ढंग से प्रतिकार करना अपेक्षित है ।
प्यास लग रही है,और पानी गंदा है तो गंदा पानी न पीकर प्यासा रहा जाए ऐसा न कर उसे फिल्टर करके पिया जाए । इसी प्रकार सामने वाले के साथ समयोचित समाधान की अपेक्षा रहती है ।
आजकल गृहस्थों को ही नहीं, संतों को भी परस्पर ईर्ष्या होती है।
कोई किसी की बडाई सुन नहीं सकता ।
तथाकथित त्यागी, तपस्वी साधु भी परस्पर निंदा करते मिलेंगे ।
जिस दिन आपके बराबर के व्यक्ति की प्रशंसा सुनकर आपको दिल से अच्छा लगे तो समझ लीजिए कि आपकी आत्मा ऊपर उठ रही है ।
इसी प्रकार किसी भी भाई, दोस्त या दुश्मन की संपन्नता देखकर आपको इर्ष्या न होकर खुशी हो तो समझ लीजिए कि अब आपके भाग्य खिलने का समय आ गया है ।
जरा सोचिए कि आपको किसी की निंदा करने से जरा भी लाभ होता है क्या..?
कुछ नहीं।
बल्कि जिसकी निंदा करोगे, वो तो आपसे टूटेगा ही और वो अन्यों के सामने आपकी निंदा करके अनेकों से आपके संबंध खराब करेगा ।
अतः अपने दुश्मन की भी पीठ पीछे निन्दा मत करिये, इससे कोई लाभ नहीं होने वाला है ।
आज प्रवचन में जालंधर से नररत्न श्री सुनील जी जैन उपस्थित हुए । पश्चात नररत्न श्री अर्पण जी जैन अपने आस्ट्रेलिया से आए दोस्त हिमांशु जी को लेकर उपस्थित हुए । उनसे काफी देर चर्चा हुई,वो जैन धर्म से खूब प्रभावित हुए । अर्पण जी ने जालंधर में बन रही गौशाला के विषय में उन्हें समझाया तो उनमें भी सहयोग करने की भावना पैदा हुई ।
दिल्ली से नररत्न श्री एस.पी.जी जैन सपरिवार उपस्थित हुए ।
जम्मू से रिटायर्ड आई.ए.एस अफसर श्री प्रमोद जी जैन सपत्नी उपस्थित हुए ।
इस भयंकर बरसाती मौसम में भी आचार्य प्रवर के साथ 3 किलोमीटर पैदल चले और धर्म चर्चा का लाभ लिया ।
इसी तरह महाराष्ट्र के नांदेड़ से पूर्व विधायक श्री ओमप्रकाश जी पोकरणा सपरिवार गुरुदेव के चरणों में उपस्थित हुए । आपकी दर्शन की प्रबल भावना थी तो आखिर खोजते खोजते पहुंच ही गए । श्री ओम प्रकाश जी पोकरणा राजनीति में होने के बावजूद भी नांदेड के 200 किलोमीटर तक के क्षेत्र में आने वाले सभी संत सतिया जी के विहार की व्यवस्था संभालते हैं।
खुद पहुंचकर व्यवस्था करते हैं।
आपकी सेवा भावना सभी के लिए प्रेरणादायक है ।
इसी तरह नोखा मंडी, गंगाशहर, आदि कई स्थलों से दर्शनार्थी आते रहे ।
24 जनवरी को आचार्य प्रवर, नररत्न श्री प्रवीण जी जैन के विशेष आग्रह पर ईशान इंडस्ट्री पर पधारे । आपकी सेवा भावना सराहनीय है ।
श्री अरिहंतमार्गी जैन महासंघ सदा जयवंत हों