20 जनवरी शिवपुरी लुधियाना

जमाना क्या सोचेगा
जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी महाराज सा.
जमाना क्या सोचेगा, यह मत सोचो । क्योंकि जमाना नाकाम लोगों का मजाक उड़ाता है और कामयाब लोगों से जलता है ।
जब तक आप खुद दुखी नहीं होना चाहते तब तक आपको कोई दुखी नहीं कर सकता है ।
दुख और सुख दोनों हम ही पैदा करते हैं इसलिए सभी संत बार-बार वीतराग वाणी में यह फरमाते हैं
आत्मा ही महादुखदायी वैतरणी नदी है ।
कूटशाल्मली वृक्ष है ।
आत्मा ही कामदुधा धेनु है ।
आत्मा ही नंदनवन है ।
आत्मा ही आत्मा के लिए दुहाणाय,सुहाणाय दुख या सुख देने वाली है ।
अतः अपनी सोच ठीक करने की जरूरत है ।
एक नई बहू जो नखराली, धनवान घर की बेटी थी ।
उसे ससुर ने धनिया की चटनी बनाने के लिए कोने में पड़े पत्थर को लाने के लिए कहा तो वो अपनी धनवत्ता कोमलता का ढोंग करते हुए बोली कि मुझसे वो वजन नहीं उठेगा ।
सेठ जी उस वक्त तो कुछ नहीं बोले ।
स्वयं उठकर पत्थर ले आए ।
2 महीने बाद हीरे जड़े सोने का हार नीचे लटकता भारी पेंडुलम जिसके चारों तरफ हीरे,पन्ने माणक, मोती की चमक वाला बनाकर लाए । बहू को दिया उसने खुशी-खुशी पहन लिया ।
2 महीने पहने रही तब एक दिन पेंडुलम के एक किनारे से सोने का पर्त हट गया । जब अंदर देखा तो पत्थर है। पत्थर वो ही जिससे धनिया घिसकर चटनी बनाई जाती थी ।
बहु यह देखकर बिगड़ी तब ससुर जी ने शांति से जवाब दिया कि यह पत्थर तो तुमसे उठ ही नहीं रहा था और इसी पत्थर को गले में पहने पहने दो महीने तक घूमती रही ।
पत्थर जब तक सोने का था तो सुखदायी हो गया और जब असलियत पता चली तो दुखदायी हो गया ।
जबकि दोनों अवस्था में पत्थर का वजन वही है ।
बहू की बुद्धि ठिकाने आ गई।
आजकल कई महिलाएं ससुराल आकर अपने पीहर की बहुत डींग हांकती हैं ।
भले पीहर का झाड़ू-पोछा वो हीं लगाती रही हो पर ससुराल आकर यह शेखी बगारेघी।
कि मैंने तो पीहर में कभी कोई काम ही नहीं किया ।
मेरा पीहर, मेरा भाई,मेरे माता-पिता तो बहुत ही धनवान है और हमें घूमने फिरने की पैसों की पूरी छूट थी । पता नहीं क्या सुनाती रहती हैं ।
वो नादान महिलाएं,यह नहीं समझती कि अब तुम्हारा घर ससुराल है पीहर नहीं ।
पहली बात तो तुम पीहर की झूठी प्रशंसा करके अपने ससुराल को ही डाउन करने में लगी हो । जिससे इज्जत तुम्हारी ही जानी हैं। और तुम्हारे ही सुखमय भविष्य में आग लग जानी है।
महिला के लिए ससुराल कैसा भी हो, अब उसका घर वही है ।
यह समझकर काम करेगी तो काम करने से हाथ नहीं घिसते, बल्कि आनंद मिलेगा ।
घर जन्नत बन जाएगा ।
आचार्य श्री ने आगे समझाया कि भाई भाई में झगड़ा हो लेनदेन का । लगता है भाई आपका पैसा दबा रहा है तो उसे समझाएं,परिवार की बुजुर्गों की पंचायत बिठाएं।
समाज के प्रतिष्ठित लोगों से कहलवाएं ।
फिर भी अगर न माने तो फिर सगे भाई पर कोर्ट केश न करें।
समझे कोई बात नहीं, पैसा गया भी तो भाई के पास ही गया है।
दिमाग से टेंशन निकालकर व्यापार में काम में लग जाएं तो शांति मिलेगी ।
सोचे- मेरा है वो जाता नहीं,जो जाता है वो मेरा नहीं ।
टेंशन नहीं होगा तो सोच सही चलेगी ।
काम बढ़ेगा ।
आप धर्म में पक्का रहना सीखिए। छोटा भी नियम लें तो दृढता से पालिए । तभी अच्छा रिजल्ट आयेगा ।
धर्म नींव है,धन महल । नींव मजबूत होगी तो धन आएगा भी, टिकेगा भी, सुख भी देगा ।
धर्म प्रभावना
20 जनवरी आज प्रवचन में उत्तर भारत पंजाब के प्रधान श्री प्रफुल्ल जी जैन उपस्थित हुए और आचार्य प्रवर का हार्दिक अभिनंदन किया ।
रूपा मिश्री क्षेत्र के स्थानक के प्रधान श्री कीमतीलाल जी जैन, देवेंद्र जी, राजेंद्र जी, प्रवीण जी जैन आदि का शिष्टमंडल गुरु चरणों में पहुंचा और अपने क्षेत्र में पधारने की विनंती रखी ।
इसी प्रकार अनेक क्षेत्रों से विनंतीयां आ रही है ।
21 तारीख को शिवपुरी में प्रवचन और णमोत्थुणं जाप के बाद आचार्य प्रवर सिविल लाइन गली नंबर 3 बंगला नंबर 37 ग्रीन पार्क पधारने की संभावना है ।
22 जनवरी रविवारीय प्रवचन हैप्पी होम विषय पर यहीं पर होने की संभावना है ।
23-24-25-26 जनवरी के प्रवचन सुंदरनगर जैन स्थानक में होना संभावित है ।
श्री अरिहंतमार्गी जैन महासंघ सदा जयवंत हों