11 जनवरी हैबोवाल तरीका सही हो जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म. सा.

11 जनवरी हैबोवाल
तरीका सही हो
जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म. सा.
जिस प्रकार घिसकर काटकर पीटकर तपाकर सोने की परख की जाती है उसी तरह नवकार जाप नमन , नवकारसी, दान और समायिक करने से भव्यों की आत्मा खरे सोने की तरह चमकने लगती है । हर व्यक्ति को सवेरे उठकर 108 बार नवकार का जाप करना ही चाहिए ताकि परमात्मा प्राणों में समा सकें। जब परमात्मा प्राणों में आएगा तो जीवन बदल जाएगा। दुसरी बात है- नमन। यदि आपके क्षेत्र में कोई सर्वत्यागी संत- सती जन विराज रहे हो तो पहले उनका दर्शन वंदन करें। मंगल पाठ सुने। यदि संत-सती जन न हो और घर में सबसे बड़े आप स्वयं ही हो तो अपनी गली में अड़ोस पड़ोस में जो भी उम्र में बड़ा हो उसको नमन करके आशीर्वाद लें। नमन करते ही वो आपको दुआ देंगे। जुग जुग जिओ, जीवता रहो, आयुष्मान भव, पूतो फलो। जो की, जीवन में निश्चय ही लाभदायक होगा। अपने घर में आपसे जितने भी बड़े हैं उन्हें तो झुककर प्रणाम करना ही है ।
अगर बड़े न हो तो अन्य किसी बड़े को प्रणाम किया जाए। प्रणाम करते वक्त यह न देखें कि मैं सेठ हूं, धनवान हूं, डॉक्टर हूं, वकील हूं। एसा कुछ न सोचकर विनम्र भाव से सामने साधारण आदमी भी हो तो उन्हें वंदन करें।तभी अभिमान टूटेगा विनय बढ़ेगा अच्छाइयां खिलेगी ।
नमन के बाद दान करो। यानी कि पशु हो पक्षी हो या इंसान कोई भी हो किसी न किसी को जरूर कुछ न कुछ खिलाओ चाहे एक चॉकलेट ही दो पर उसको खिलाने से पहले खुद नहीं खाना। नयसार के भव में भगवान महावीर की आत्मा का भी यही नियम था । जिसके बल पर वह आगे आगे बढ़ते हुए महावीर बन गए । दान देने के बाद कम से कम एक सामायिक अवश्य हो । सामायिक में स्वाध्याय प्रवचन श्रवण आदि सभी संवर, निर्जरा के काम हो सकते हैं ।
सामायिक करने से नवकारसी भी साधी जा सकती है।
क्योंकि रात्रि की 12:00 बजे बाद कुछ खाना पीना नहीं और सूर्योदय के 48 मिनट तक पानी भी नहीं पीना या परंपरा से नवकारसी का विधान है यह नवकारसी करने से 100 वर्ष का दुर्भाग्य नरक का वंदन हटकर 100 वर्ष तक सौभाग्य स्वर्ग के नसीब खिलते हैं । इस प्रकार और लाभ ही लाभ है ।
यह आत्मा पर लगे कर्मों को घिसकर, काटकर, पीटकर, तपाकर आत्मा से गंदगी अलग करने का तरीका है काम छोटे छोटे हैं बस करने का तरीका विवेक के साथ होना चाहिए ।
जैसे कि आटा दाल सब्जी वही बस बनाने वाली महिला का तरीका सही हो तो खाना सुस्वादु बन जाता है ।
धर्म प्रभावना
11 जनवरी को हैबोवाल में शीतलहर का भारी प्रकोप होने के बावजूद भी भाई-बहिन प्रवचन में उपस्थित हुए आचार्य प्रवर ने विवेक के साथ जीने का तरीका कैसा हो यह समझाया।
श्री अरिहंतमार्गी जैन महासंघ सदा जयवंत हों