2 जनवरी 2023 धर्म हृदय में धार जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म.सा.

2 जनवरी 2023
धर्म हृदय में धार
जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म.सा.
धर्म को हृदय में धारण करने के लिए हृदय का स्वच्छ, निर्मल, पवित्र होना आवश्यक है। जब तक आधार पात्र सही नहीं होगा तब तक – आधेय जो वस्तु उसमें आनी है। वह आ नहीं सकती। अतः आधार को पवित्र करना होगा। हमें आधेय रूप में भगवान की वाणी, सिद्धांत उपलब्ध है परन्तु हमारे आधार दुष्प्रवृत्तियों से, विकृत्तियों से भरे है जिससे पवित्र ज्ञान-ध्यान प्राप्त होने पर भी जीवन में, आत्मा में परिवर्तन नहीं हो पाता है। जीवन सार्थक नहीं बनता है। अतः आधार को शुद्ध करने के लिए शास्त्रकारों ने विभिन्न उपाय बताए है।
स्थानांग सूत्र के चौथे ठाणे में बताया गया है कि चार कारणों से होते गुण भी नष्ट हो जाते हैं। चउहिं ठाणेहि संते गुणें णासेज्जा तंजहा – कोहेणं, पडिणिवेसेणं, अकयण्णुयाए, मिच्छता-णिवेसेणं।
यह समझना है कि विद्यमान गुण किस कारण से नष्ट हो रहे हैं। उन कारणों को पहले हटाए। वीतराग वाणी अप्रतिहत सत्य होती है। इसलिए हमें अपने हृदय रूपी पात्र को सही करना होगा। शास्त्रकारों ने चार दुर्गुण ऐसे बनाए जिससे सारे सद्गुण नष्ट हो जाते है। वे इस प्रकार है – 1- क्रोध से, (2) प्रतिनिवेश से – किसी की पूजा प्रतिष्ठा नहीं देख सक‌ने में (3) अकृतज्ञता से (4) मिध्याभिनिवेश (दुराग्रह) से ।
सबसे पहली बात बताई- क्रोध की, जो व्यक्ति बहुत गुणी हो, महागुणी हो, योगी हो, महायोगी हो लेकिन उसे यदि क्रोध आता हो तो वह क्रोध की अग्नि उसके सारे सदगुणों को जलाकर राख कर देती है। इतिहास इसका गवाह है कि क्रोध से लम्बी लम्बी साधनाएँ खत्म हो गई हैं। अग्निशर्मा इसका गवाह प्रस्तुत है। वह मास-मासखमण की तपस्या- करता था। पारणे के दिन एक घर में गोचरी करता था, जो मिलता वह खा लेता फिर तपस्या पचक्ख लेता। गौतम स्वामी भी ऐसे नहीं थे। वे तो बेले- बेले की तपस्या करके पारणा करते थे, परन्तु अग्निशर्मा उनसे भी कठिन तपस्या करता था, ऐसी तपस्या जिसकी शक्ति पूरी दुनिया हिलाकर रख दे,परन्तु क्रोध के कारण उनकी सारी तपस्या नष्ट हो गई।
क्रोधी व्यक्ति किसी से दोस्ती रखना पसन्द नहीं करना।
क्रोधी से घर वाले परेशान रहते है। दिन के 12 घंटों में से 7-8 घंटे उसके लड़ाई-झगड़े में बीतते हैं। थोडी ऊँची-नीची बात होती हैं कि वह भभक जाता है। जो स्टोप बार बार भभके उस स्टोव को अपने पास कौन रखेगा? जिस स्टोव का संतुलन ही ठीक नहीं रहता हो। उसका भभकना क्या काम का। यह चाहे साधु हो या गृहस्थ ।
किसी किसी के गृहस्थ जीवन में सेवा आदि का काम ज्यादा ही पड़ता है। दिन भर बेचारा गृहस्थ काम करता है परन्तु कभी-कभी चिंगारी फुट जाती है। सारे किए-कराए पर पानी फिर जाता है। यदि उनसे पूछा जाए कि क्या तुम घर का सारा काम कर लेते हो तो वे कहेंगें, “काम तो घणो ही करूं पर मने कोई जश नहीं देवें। आपने सारा काम अच्छा किया पर यदि थोड़ा सा गुस्सा, आपको आ गया तो समझलो सब खत्म हो गया। फिर कहां से आपको यश मिलेगा ।
आपने कोध नहीं किया तो आप सबके प्यारे बन जाओगे। आपकी पत्नी ने खाना ठीक से नहीं बनाया, कपडे सही नहीं रखे तो तुरंत पारा गरम हो जाता है। अरे, हो गई गलती। अब गुस्सा करने से क्या होगा। आपको यदि उसे समझाना है तो शांति से, प्रेम से समझाइए, गुस्से में सब कुछ खत्म हो जाएगा।
धर्म प्रभावना
2 जनवरी को सवेरे कोहरा छाने से विहार रुक गया करीब 1:00 बजे बाद विहार प्रारंभ हुआ ।
जलगांव से सुनील जी ललिता जी श्री श्री माल देशनोक से जय श्री हीरावत का परिवार दिल्ली से निरंजन जी मेहता का परिवार इसी प्रकार जालंधर से श्री विशाल जी जैन जो कि पूरे विहार में साथ रहे ।
इसके अलावा जालंधर से तो भाई बहन निरंतर आते चले गए नररत्न श्री राहुल जी विशाल जी के टाइलों के गोडाउन में आचार्य प्रवर का पदार्पण हुआ। पर भयंकर सर्दी को देखते हुए आचार्य प्रवर ने वहां से विहार कर दिया। 6 कि.मी. पर स्थित बाबा गज्जा जी परिसर में करीब 5 बजे पधार गए। इस प्रकार आज करीब 17 कि.मी. का विहार हुआ सभी के सुख साता है बाबा गज्जा जी के पदाधिकारी गण को मालुम चलते ही वो अगुवानी करने के लिए सामने पहुंचे और तुरन्त व्यवस्था जमाई सभी की कार्य निष्ठा सराहनीय है।
जालंधर से आने वालों का नाम संकलित कर पाना संभव नहीं।
जालंधर गौशाला में प्राप्त दानराशि-
श्री माणकचंद जी मेहता जयपुर-7000
श्री पुजा विनोद जी पगारिया भायंदर-1100
श्री ऋषभ जी जैन जालंधर-1100
जालंधर गौशाला में दान देकर अपने जीवन की सुरक्षा में सेंसर लगवाने वाला काम करिए ।
SHRI ARIHANT MARGI JAIN MAHASANGH
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CHADNI CHOWK DELHI – 6
श्री अरिहंतमार्गी जैन महासंघ सदा जयवंत हों