31 दिसंबर कपुरथला
प्रभु का नाम प्राणों में उतारें
जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म. सा.
माला में 108 मणियें होते हैं। जैन दृष्टि से नवकार के पांच पदों के 108 गुण बतलाए गए हैं।
अरिहंताणं के 12 सिद्धाणं के 8 आयरियाणं के 36 उवज्झायाणं के 25 सव्वसाहुणं के 27 कुल 108 गुण होते है।
इसी तरह पाप के भी 108 प्रकार होते हैं। करना, कराना, अनुमोदन करना इन तीनों के मन, वचन, काया, तीन-तीन। 3×3=9
नौ प्रकार के पाप भूतकाल, वर्तमान काल, भविष्य काल तीनों में होंगे तो 9×3=27।
इन 27 तरह के योग के सावद्य कार्यों को चार कषाय क्रोध, मान, माया, लोभ के वशीभुत होकर किया जाता है।
अतः 27×4=108 होते है। इन 108 सावद्य कार्यों को त्यागने एवं 108 गुणों को पाने के लिए माला के 108 मणियें है। ज्योतिष के भी 27 नक्षत्र होते हैं एक-एक के चार-चार अंश होते है कुल 108 हो जाते है।
इसी तरह सीताराम शब्द में भी वर्णमाला एवं स्वर की संख्या के अनुसार 108 संख्या आती है।
स+ई+त+आ+रा+म 32+4+16+2+27+2+25=108
यह वर्णमाला और स्वरों की संख्या का जोड़ है। इसीलिए माला के मणियें 108 होते है। वैसे जो भी पाठ आपको याद करना हो तो आप जितने वर्ष के हो उस पाठ को इतनी बार बोलने पर अमुमन वह पाठ याद हो जाएगा।
पर जब किसी पाठ को या प्रभु स्मरण को 108 बार याद करते हैं तो वह प्राणों में समाता चला जाता है।
गर्भ में जब जीव होता है। तब माता जो भी सुनती है, बोलती है, वो गर्भस्थ जीव को एक बार में ही याद हो जाता है।
जैसे अभिमन्यु को चक्रव्यूह का भेदन याद हुआ। जैसे वज्रस्वामी को गर्भ में रहते हुए, उनकी माता के शास्त्र सुनने से 32 शास्त्र गर्भ में ही याद हो गए ।
इसलिए एक माता को अपने बच्चे को जो भी पढ़ाना हो, बनाना हो। बच्चे के गर्भ में रहते हुए गर्भस्थ महिला को वो ही पढ़ना, सुनना चाहिए। ताकि बच्चा गर्भ में ही प्रशिक्षित हो सके ।
जबकि आज की माताएं गर्भ में जीव के रहते हुए टाइम पास करने के लिए पिक्चर देखेंगे, मोबाइल देखेंगे, पता नहीं क्या-क्या देखते हैं। जिससे गर्भ से ही जीव के संस्कार खराब हो जाते है।
अतः माता को चाहिए कि वो, वो ही पढ़े जो बच्चे को पढ़ाना है, बनाना है।
बच्चा जन्म लेने के बाद भी बुद्धि निर्मल होती है उम्र आगे बढ़ने पर बुद्धि क्षीण होती जाती है । अतः किसी बात को अनकॉन्शियस माइंड तक पहुंचाने के लिए 108 बार पाठ कराया जाता है।
इसी कड़ी में चार शरण का पाठ आपको कराया गया। इन चार शरण में रहने से व्यक्ति सुरक्षित रहता है।
कार्यकारिणी की सभा
श्री अरिहंतमार्गी जैन महासंघ, श्री युवा महासंघ, श्री महिला महासंघ की संयुक्त सभा प्रवचन के तुरंत बाद वहीं पर आयोजित की गई।
राष्ट्रीय संयोजक श्री पवन जी जैन ने इस सभा की अध्यक्षता के लिए श्री खेमचंद जी मुकीम का नाम प्रस्तावित किया, जिसका सभी ने समर्थन किया। इस सभा ने 5-6 प्रस्ताव रखे हैं। जो सभी के सर्वानुमति से पास हुए ।
आज सभा में श्री पवन जी जैन दिल्ली, श्री सुनील जी श्री श्री माल ललिता जी श्री श्री माल जलगांव, श्री नीलम जी जैन, श्री सीमा जी जैन दिल्ली, श्री जगमोहन जी चतुर्मुथा दिल्ली, श्री सतीश जी नाहर दिल्ली, श्री देवेंद्र जी जैन दिल्ली, बीकानेर से श्री संजय जी श्री मधु जी सोनावत, देशनोक से श्री रणजीत जी जय श्री जी हीरावत, दिल्ली से श्री अनिल जी रेखा जी सोनी, जालंधर से श्री धर्मवीर जी श्री अर्पण जी श्री अनु जी, श्री संत कुमार जी ज्योति जी भाविका जी जैन, श्री अजय जी तयाल दिल्ली, श्री तुलसीदास जी योगेंद्र जी मुकेश जी आदि जींद के करीब 40 व्यक्ति सभा में उपस्थित थे। गंगा शहर से सुराणा दंपत्ति ।
करीब कार्यकारिणी सभा में 100 व्यक्ति उपस्थित थे। सभा पूर्णशांति और गरिमामय तरीके के साथ संपन्न हुई। आज दोपहर में महासंघ के मंत्री श्री विनोद जी जैन एवं युवा महासंघ के कार्यवाहक महामंत्री श्री पंकज जी जैन दिल्ली के नेतृत्व में करीब 50 भाई-बहिन गुरु चरणों में कपूरथला पहुंचे। इस प्रकार देश के विभिन्न शहरों और गांव से निरंतर लोगों का 1 जनवरी का मंगल पाठ और जाप करने के लिए आगमन जारी है। आचार्य प्रवर एसएस जैन सभा जैन स्थानक से विहार कर अरिहंत रत्न श्री रतन लाल जी जैन के जैन बधवा मार्केट (सागर रत्ना) के परिसर में पधार गए हैं। 1 जनवरी का मंगल पाठ एवं जाप पुरानी सब्जी मंडी बधवा मार्केट परिसर में ही होगा ।
आज दानदाताओं से जालंधर गौशाला के लिए जो दान प्राप्त हुए ।
उनके नाम और दानराशि बता रहे हैं।
प्राप्त दान राशि
श्री जगमोहन जी चतुर्मुथा दिल्ली- 11000
श्री पवन जी नीलम जी जैन दिल्ली- 11000
श्री रणजीत जी हीरावत देशनोक- 5100
श्री सतीश जी नाहर दिल्ली- 5100
श्री जींद समाज- 5100
श्री खेमचंद जी मुकीम दिल्ली- 5100
श्री देवेंद्र जी जैन दिल्ली- 5100
गुप्त दान- 500
गुप्त दान- 2100
घोषणाएं और भी हुई हैं यह तो जिन की राशि प्राप्त हुई उन्हीं के नाम दिए जा रहे हैं। आप सभी नववर्ष के मंगलमय प्रभात में जीवन को आनंदकारी बनाने के लिए जालंधर गौशाला को अवश्य अवश्य दान देकर इसे चलाने में सहयोग प्रदान करावें।
श्री अरिहंतमार्गी जैन महासंघ सदा जयवंत हो।