23 दिसंबर सुभानपुर
भामंडल प्रभु का
जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी म.सा.
शुम्भत्-प्रभा- वलय-भूरि-विभा-विभोस्ते,
लोक – त्रये – द्युतिमतां द्युति-माक्षिपन्ती।
प्रोद्यद्- दिवाकर-निरन्तर – भूरि -संख्या,
दीप्त्या जयत्यपि निशामपि सोमसौम्याम्
हे प्रभु आपका शुम्भत्- स्वच्छ प्रभावलय अतिशय तेज युक्त है।
तीनों लोक में जितने भी कांतिवान- चमकदार जीवा जीव तत्व है । उनकी प्रभा को भी तिरस्कृत करता है ।
अर्थात उनसे भी महाप्रभावी, कांतीवान है ।
प्रोद्यद् दिवाकर निरंतर भूरि संख्या- अर्थात उदय होते हुए अंतराल रहित असंख्य सूर्यों के समान है आपका भामंडल ।
निशा मपि सोम सौम्याम्- चंद्रमा की चांदनी से सौम्य बनी चांदनी की शीतलता से भी अधिक सौम्यता छिटकता है ।
प्रभु का आभामंडल,सारी दुनिया से अधिक कांतिवान बतलाया है।
असंख्य सूर्यों से भी तेजस्वी होने के साथ ही चंद्र चांदनी की शीतलता से भी अधिक शीतल है।
इसमें प्रथम बात तो यही है कि भक्त का मन किसी और तत्व की ओर आकर्षित न हो, इसका ध्यान लगाया गया है ।
कभी कोई बाबा, संन्यासी महात्मा या फिर कोई तेजस्वी दिखने वाले भाषण कारों की भी दुनियां में कमी नहीं है ।
जैसे कि इस समय कई तरह तरह के वक्ता, तरह-तरह के भाषण देकर, भोली जनता को रिझाने में लगे हैं । उन्हें देखकर हमारा मन आधे अधूरे ज्ञानियों के चक्कर में उलझना नहीं चाहिये ।
इसलिए कहा गया कि आपकी प्रभा उन सबसे विलक्षण है ।
क्योंकि वो सब संसारी हैं, कर्मों से भारी है,मोह माया के चक्कर में पड़े हैं ।
भक्तों का कल्याण और दुश्मनों का नाश करने में उलझे हैं ।
अगर जिनके भाव ही राग-द्वेष मद मोह से भरे हैं तो उनकी आभा निर्मल हो ही नहीं सकती ।
बिना निर्मलता के वो भक्तों को पावन नहीं बना सकती।
दूसरी बात असंख्य सूर्य का तेज आपमें समाया है तो चंद्रमा की शीतल चांदनी भी मिली हुई है ।
यह है कंट्रास्ट मैचिंग ।
आजकल जमाना तो ऐसा आ गया है विपरीत तत्वों को जोड़ने का ।
तो सूर्य और चंद्रमा दोनों की विशेषताओं का संगम है,प्रभु का आभामंडल । आजकल के लोग सर्दी में ठंडी ठंडी आइसक्रीम खाना पसंद करते हैं और उसपर गरम-गरम चॉकलेट का लिक्विड डालते है । यह है विपरीत तत्वों की मैचिंग ।
पर ऐसा खाना कितना आरोग्य दायक है । यह आपके सोचने का विषय है ।
लेकिन भगवान ने दुनियां के सभी विशेषताओं का एक साथ संगम है ।
प्रभु में तो गुण ही गुण है ।
जबकि दुनियावी वस्तुओं में गुण तो एक दो होते हैं बाकी अवगुणों से भरे होते हैं ।
परंतु प्रभु में यह खासियत है कि दुनिया के प्रत्येक व्यक्ति में इक्के दुक्के गुण है, उससे तो परिष्कृत लाखों गुणा अधिक विशेषता वाले गुण प्रभु में है ।
अब सोचिएगा ऐसे प्रभु के तन मन वचन के परमाणुओं की रेंज में, कोई भी आ जाए तो उसकी बुद्धि जीवन उन्नत होगा या नहीं ?
जरूर होगा ।
आजकल के विकसित देशों के हालात यह हैं कि उनके आकाश में किसी भी शत्रु का विमान प्रवेश पाते ही उन्हें पता चल जाता है।
और वे ऑटोमेटिक व्यवस्था से उसे आकाश में ही नष्ट कर देते हैं।
ठीक इसी प्रकार जो भी भगवान के शुद्ध परमाणुओं की रेंज में आ जाता है वो तन- मन से स्वस्थ होता चला जाता है ।
अतः प्रत्येक साधक को परमात्मा की भक्ति अवश्य करते रहना चाहिए ।
धर्म प्रभावना
आज 23 दिसंबर को शीतकालीन लहरों के बीच भी करीब 7 किलोमीटर का विहार करके आचार्य प्रवर सुभानपुर पधार गए हैं ।
24 दिसंबर को सूखे समाधे कपूरथला पधारना संभावित है ।
श्री अरिहंतमार्गी जैन महासंघ सदा जयवंत हों