22 दिसंबर | सामने आ गयाः मदोन्मत्त हाथी

22 दिसंबर
सामने आ गयाः मदोन्मत्त हाथी

जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म. सा.
करो प्यारे प्रभु भक्ति अगर संसार तिरना है।
प्रभु की भक्ति इंसान को संसार रूपी समुद्र से तिराने वाली बन सकती है। सबसे बड़ा समुद्र- संसार समुद्र ही है। इससे बडा कोई समुद्र नहीं है। जिसके अन्दर 84 लाख योनियाँ होती है। ऐसे चक्रवाती संसार से पार होना बहुत मुश्किल है। पर प्रभु भक्ति उसे भी पार कर देती है। उसी भक्ति की अभिव्यक्ति आचार्य मानतुंग के माध्यम से की जा रही है।
“श्चयोतन्मदाविलविलोलकपोलमूल
मत्तभ्रमद्भ्ररनादविवृध्दकोपम्।
ऐरावताभमिभमुध्दतमापतन्तं,
दृष्ट्वा भयं भवति नो भवदाश्रितानाम्।।
आचार्य मानतुंग बतलाते है कि अगर तुम सच्चे दिल से प्रभु की भक्ति करते हो तो संसार की बड़ी से बड़ी विपत्ति भी तुम्हारे ऊपर आ जाए तो भी तुम संसार पार कर सकते हो। “श्च्योतनमदा- जिस हाथी के गण्डस्थल से मद निरंतर झर रहा है। उसके कपाल उससे भर गए है और मद की सुगंध से अनेक भॅंवरे वहाँ आ गए हैं। वे भँवरे मद के ऊपर बैठकर विभिन्न रूप से गुंजार कर रहे हैं । उन भॅंवरों की गुंजार से एरावत हाथी का पागलपन, कोप बढ़ गया है और इसके कारण वह एरावत हाथी विकराल दिखाई देता है। ऐसे ऐरावत हाथी के सामने कोई भी व्यक्ति चला जाए तो वह गुस्से मैं पागल,बेभान होकर उसे मार डालता है। लेकिन आचार्य मानतुंग कहते हैं कि जो तुम्हारी भक्ति करता है उसके सामने ऐरावत हाथी भी आ जाए तो वह उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। क्योंकि वह आपके आश्रित हो गया है। हाथी देख लिए जाने पर भी दूर हटने की बात नहीं उसे कोई भय नहीं वह निर्भय हो गया है। उसमें शक्ति आ जाती है। लोग सोचते है – कि हाथी यदि हमारे सामने आ जाए तो उससे बचने के लिए यह श्लोक बोलना चाहिए।
ऐसा नहीं है। क्या आपके सामने हाथी आया है। नहीं, जल्दी से कोई हाथी ही नहीं आवे और काम पड़े ही नहीं । हाथी, वन्य जीवों में सबसे ज्यादा ताकतवर होता है, शेर मुहँ से फाड़कर मार देता है पर हाथी का पैर का टलला भी यदि किसी व्यक्ति के लग जाए तो वह मर जाता है। शेर भी उसके पैर के नीचे आ जाए तो वह मर सकता है, लेकिन वही हाथी यदि पागल हो जाए तो उसमें पहले की अपेक्षा ज्यादा ताकत आ जाती है। किसी को भी देख लीजिए, जो व्यक्ति काम नहीं कर सकता, उसे यदि गुस्सा आ जाए तो आसानी से काम को कर लेता है।
एक राजपूत था, तेली की पत्नी उसके घर छाछ लेने के लिए आती थी। एक दिन वह राजपूतनी से कहने लगी- मेरा पति तो कितना ताकतवर है, तेरा पनि तो दुबला- पतला है। वह हर 3-4 दिन में एक बार कह ही देती, राजपुतनी को यह बात लग गई। राजपूत से उसने सारी बात कह दी। राजपूत ने कहा समय आएगा तो बताऊँगा, एक बार शत्रुओ ने चढ़ाई की। उसे बहुत क्रोध आया। शरीर में’ current आ गया, उसके रोम-रोम खुल गए। उसने तलवार, तीर संभाला और घर से निकल गया। रास्ते में वह तेली मिल गया। तेली को देखकर राजपूत घोड़े से नीचे उतरा और सोचा इसका काम भी करते जाओ। उसने एक तीर निकाला और तेली के गले को तीर से मोड़ दिया। गला फंस गया। वह राजपुत यहाँ से चला गया, तेली तीर से परेशान हो गया। क्योंकि उसकी गर्दन सीधी नहीं हो रही थी, वह अपने घर गया, तेलन से सारी बात कही कि राजपूत ने इस तरह से गला मोड़ दिया है।
तेलन राजपुतानी के पास गई और सारी बात उससे कही और कहा कि मेरे पति की गर्दन सही नहीं हो पा रही है। किसी तरह से उन्हें बचा लीजिए। राजपूतनी ने कहा तेरे पति में तो मेरे पति से ज्यादा ताकत है। फिर मेर यहाँ क्यों आई है? खुद ही छुड़ा लो। तेलन ने कहा- ‘मैं आपके हाथ जोड़ती हूं। आपके पति से कहिए इन्हें खोलदे।
इधर राजपूत युद्ध करके वापस आ गया। राजपुरानी ने कहा कि आप तेलन के पति के गर्दन में फंसे हुए तीर को निकाल दीजिए। उसकी गर्दन सीधी नहीं हो पा रही है। राजपूत ने कहा – मैं अभी नहीं खोल सकता। Current आएगा तो ही मैं खोल सकता हूँ । लुहार को बुला लो यदि नहीं तो जब मेरे भीतर current आएगा तो ही खोल सकूंगा। गुस्से में व्यक्ति को ताकत ज्यादा आती है। उतनी सामान्य स्थिति में नहीं होती। ऐसे तो भूख सहन नहीं होती पर गुस्सा आ जाए तो खाना नहीं – पीना नहीं। सब पर control कर लिया। उससे क्या बढ़ेगा- गुस्सा बढ़ेगा।
इसलिए शास्त्रकार कहते हैं कि गुस्से को क्षमा से, त्याग से कन्ट्रोल कर लिया जाए तो वह क्षमा आदि भाव को बढ़ाने वाला बनेगा। इससे सहनशीलता, आत्म- शक्ति बढ़ेगी। इसलिए कहते है कि हाथी या शेर या कोई भी ताकतवर वनचर प्राणी या कोई भी व्यक्ति विशेष आ जाए, जो आपको मारने वाला हो, कष्ट देने वाला हो तो जिस तरह से प्रभु के स्मरण से हाथी की मति फिर जाती है उसी तरह आपके आश्रित आने वाले, भक्त का कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। परमपूज्य हुक्मीचंद जी म. सा. के सामने भी कई हिंसक पशु आए पर उनकी संयमीय साधना और णमोत्थुणं जाप के सामने झुक गए और शांत हो गए।
इसे कहते हैं प्रभु की ‘भक्ति, बाहरी उपाधियों से हम नहीं बच सकते भीतरी शक्ति से बच सकते है। जो भक्त परमात्मा के आश्रित है उसे कोई भय नहीं रह सकता। हमें यदि सारे सकंटों से बचना है तो प्रभु की भक्ति करनी होगी। इसलिए नवकार मन्त्र की उपासना करिए। यह किसी व्यक्ति विशेष का बनाया हुआ नही है। यह शाश्वत मन्त्र है। न इसे ऋषभ ने बनाया, न महावीर ने यह तो अनादिकाल से बना हुआ है। जितने तीर्थंकर पूर्व में हुए या होंगे वे सभी इसका स्मरण करेंगे। क्योकि यह शाश्वत मन्त्र है। महामन्त्र के नाम से सारी जैन समाज एक है। इसके सिवाय एक मन्त्र भी ऐसा नहीं है जिसे सब जानते है या बोलते है। इस मन्त्र में कोई परिवर्तन नहीं। दूसरे मंत्र परिवर्तित हो सकते हैं। इसलिए जो नवकार मंत्र का ध्याता है वह व्यक्ति जीवन में प्रगति करता है। इसलिए घर-2 में नवकार मंत्र की ध्वनियाँ फैलनी चाहिए। क्योंकि इनका स्मरण मन, वचन और काया को एक तरफ कर देता है और उससे शान्ति प्रस्फुटित होती हैं।
दिल्ली में जब जाप चल रहा था। उस समय २-३ घटनाएँ सामने आई। एक घर में जाप चल रहा था। उसी घर के नौकर को पता लग गया कि सेठ जी रात को दुकान से जो पैसा लाए वह पैसा बैंकों में जमा नहीं कराए। उस नौकर ने अपनी अटैची भरी। भागने की तैयारी करने लगा। उसके अंदर से आवाज निकलने लगी कि यह काम तु गलत कर रहा है। तुम्हे ऐसा नहीं करना चाहिए। उसकी आत्मा बार 2 कहने लगी कि तुने सेठ जी का नमक खाया है। नमक हलाली मत करना। वह गया सेठ जी के पास सारी बात उनसे कही और सेठ जी के पाँव पकड़ लिए। सेठ जी ने सोचा – यह कैसा सतयुग है।, 12 घंटे का जाप चल रहा था। उन जाप की ध्वनियों की तरंगों का असर नौकर पर पड़ा। जिससे नौकर की Negative सोच फिर गई और positive सोच बन गई ।
आप देखते हो कि बड़े-2 होस्पीटलों में गेट होते हैं। उनके दरवाजे अपने आप खुल जाते हैं। आप उस दरवाजे में से निकल जाते हो। फिर वे ऑटोमेटिक बन्द हो जाते हैं। वहाँ पर विद्युत तरंगें छोडी हुई होती है। जो गोल – गोल घूमती रहती है। ज्यों ही आदमी उन विद्युत तरंगों में घुसता है तब दरवाजा खुल जाता है। जब तक वह वर्तुल तरंगों के मध्य में रहता है तब तक दरवाजा बन्द नहीं हो सकता है। जैसे ही वह दूर हुआ और दरवाजा बन्द हो जाता है। इसलिए कहते है कि हमारे अन्दर प्राण ऊर्जा जब तक होती है तब तक हमारे अन्दर में शक्ति होती है। जो हमारे दिमाग को शान्ति प्रदान करती है। प्राण ऊर्जा जिस किसी व्यक्ति के दिमाग में घुसती है उस व्यक्ति को ठीक कर देती है।
America के स्टेट बैंक में ऐसी ही घटना घटी, उस Bank में 6 Cashier बैठते थे। लोम्युजान नामक Cashier जहां बैठता था, वहाँ हमेशा queqe लगी रहती थी, दूसरे काउन्टर पर कोई नहीं जाता, वे सारे काउन्टर खाली रहते थे। मेनेजर ने सोचा कि लोगों को Time नहीं है फिर भी यहाँ खड़े है। पास वाले काउन्टरों पर कोई नहीं जाता। मैनेजर ने क्यू में से एक लड़के को बुलाया और कहा पूछा – आप इतने समय तक लाइन में खड़े रहते हैं । आप दुसरे काउन्टर से रूपये क्यों नहीं लेते। वह कहने लगा कि जब मैं इस काउन्टर से लेता हूं तो मेरा काम सही हो जाता है। पैसों में भी बरकत हो जाती है। मैनेजर ने सोचा यह गप्पे हाँक रहा है। इसलिए दूसरे को बुलाया उससे पूछा उसने कहा- साहब, मेरा Brief case घूम गया था लेकिन फिर मिल गया, तब अन्दर से आवाज उठी कि यह चमत्कार उस केसियर की वजह से हुआ है। मेनेजर ने तीसरे को बलाया उसने कहा मैं वेश्यागामी था। एक बार इस मउन्टर से पैसे लिए जो मन में विचार उठने लगे कि तुम गलत काम कर रहे हो, शरीर व पैसे की बर्बादी कर रहे हो। मैने पैसे वापस जमा करा दिए, रात को मेरे सपने में आया कि यह चमत्कार उस केशियर का है। Bank Manager को विश्वास नहीं हुआ। यह कोई जादूगर होगा, आखिर बात क्या है? उसने एक Lady को बुलाया उसका नाम था रीटा हेबर्ट उससे पूछा- तुम इसी काउन्टर पर पैसे लेने के लिए क्यों खडी हो। उसने कहा- सुनिए मेरी शादी हो गई थी लेकिन मैं किसी ओर से प्यार करती थी। मेरे प्रेमी ने मुझे समझाया कि पति का झंझट मिटाओ और अपन यहाँ से भाग चलते है। तुम्हारे बैंक में जितने पैसे है वे निकाल लो फिर भागेंगे। योगानुयोग मैंने जैसे ही इस काउन्टर से पैसे लिए तब मेरे मन में यह विचार उठे कि यह सच्चा प्रेमी नहीं है। यह तन का प्रेमी है, पैसे खत्म होते ही तुम्हे छोड़कर भाग जाएगा। वह तेरी जिन्दगी बर्बाद कर देगा। तुम अपने पति से दूर हो जाओगी, तुम गलत कर रही हो। जैसे ही मन से आवाज आई मैंने पैसे वापस जमा किए। फिर मैं घर आई। रात को सपने में देखा कि इस कैशियर ने तुझको बचा लिया। Bank Manager ने सोचा- यह जरूर जादूगर है। वह लोगों को हिप्नोटाइज मेस्मेरिज्म करता है। उसने कोशियर को अपने पास बुलाया और पूछा कि ये सारे लोग पैसे लेने के लिए तुम्हारे पास ही क्यों आते है? वह कहने लगा मैं क्रिसिचियन हुँ मेरे पिताजी पादरी और माँ सदाचारिणी है। जो जिससे मुझे सदा सदाचार की शिक्षा मिली, मैं बड़ा हुआ। मुझे यहाँ नौकरी मिल गई। पर मन में हमेशा यह घबराहट रहती कि गलत तरीकें से पैसे इधर उधर न हो जाए। इसलिए मैं हर काम ईमानदारी से करता हूँ। मैं जिसको भी पैसा देता हूँ एक वाक्य हमेशा बोलता हूँ – May God bless you! यह सुखमय बने यही कामना करता हूँ। सभी खुश रहे, सभी का कल्याण हो। इसके अलावा मैं ‘कुछ नहीं करना। तब Bank मेनेजर ने समीक्षा की, कि जब यह बोलता है, यह Wish करता है तब इसके वाक्यों की तरंगे काउण्टर पर आने वाले व्यक्तियों से टकराती हैं। और उनके विचारों को चेन्ज कर देती है। दिमाग की गंदगी, कीटाणुओं को तरंगें बाहर निकाल देती है जैसे पानी की बूँद आपके शरीर पर गिर जाए तो शीतल लगती है। ठीक वैसे ही यह तरंगे मस्तिष्क की गंदगी को निकाल देती है। बैंक मैनेजर ने अपनी बैंक के चारों तरफ, खिड़कीयों, दरवाजों में , ऊपर नीचे सभी जगह एक वाक्य May God bless you .” लिखा दिया। आते-जाते लोग पढने लगे। अमेरिका जैसे नास्तिक देश मे प्रभु देश है। की भक्ति की जा रही है तो भारत तो आस्तिक देश है।
New York Times, washing Ton post आदि कई पत्रिकाओं में यह घटना छपी। भारत में भी यह घटना छपी, एक्सपोर्ट माल इम्पोर्टें हुआ है। माल हमारे यहाँ बनता है। बाहर की पैकिंग कर दी जाती है। और लोग उसे पसन्द करने लगते है। ज्यादातर लोगों की यही स्थिति बनी हुई है। पर मैं कहता हूँ कि नवकार मंत्र अनादिकालीन है। नमो अरिहंताणं की तरंगें आपको पावन बना देगी। इसलिए यह आवश्यक है कि हम जाप करें। वीतराग देवों ने जो ध्वनियों बताई, हम उनका उच्चारण करें। लोम्यूलोन May God bless you बोलता है। इतना बोलने से ही सब कुछ हो गया तो हमारा यह मंत्र तो शाश्वत है। जो परमात्मा की शक्ति को प्राप्त कराने वाला है। इससे बाहरी वातावरण व पारिवारिक वातावरण भी शुद्ध बनेगा।
जब झरते मद पर मंडराते मद वाला हाथी भी सामने आकर उस भक्त का कुछ नहीं बिगाड़ सकता है जो प्रभु का स्मरण करता है, स्तुति करता है। हम प्रभु को नमन नवकार मंत्र से करते है पर स्तुति णमोत्थुणं के पाठ से करते हैं। नमन कभी भी किया जा सकता है, पर स्तुति तो विधिवत् बैठ कर ही की जा सकती है। परमात्मा की भक्ति दिल, दिमाग को निर्मल बनाती है। फिर ऐसे व्यक्ति का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। बल्कि उसके पास में आने वाले व्यक्ति को भी वो बचा लेता है। संकटों से मुक्ति दिला देता है।
धर्म प्रभावना
22 दिसंबर को 12 किलोमीटर का विहार कर ढिलवां पधारे। कपूरथला एवं जंडियाला गुरु से युवा टीम ने आकर विहार की व्यवस्था जमाने में सेवा का लाभ लिया।
श्री अरिहंतमार्गी जैनमहासंघ सदा जयवंत हो