जिंदगी एक भोर है
जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी महराज सा.
होकर मायूस ना,यूं शाम की तरह ढलते रहिए ।
जिंदगी एक भोर है,
सूरज की तरह निकलते रहिए ।
आपने जिंदगी को किस पक्ष से पकड़ रखा है । उदयपक्ष से या अस्त पक्ष से ।
याने कि अनुकूल पक्ष और दूसरा प्रतिकूल पक्ष ।
परिवार में भी एक ही व्यक्ति कभी आपके अनुकूल चलता है तो कभी प्रतिकूल चलता है ।
यदि आप उसकी प्रतिकूलता ही पकड़ते रहोगे उसकी बुराइयां बताते रहोगे या फिर बच्चा ही क्यों न हो उसकी कमियां ही बताते रहोगे तो फिर वो व्यक्ति,जो थोड़ा भी अच्छा था या आपके मन के अनुसार करता था वो भी नहीं करेगा ।
वो उल्टा ही उल्टा होता चला जाएगा । उसे सही करने के लिए बल्कि स्वयं को भी सही रखने के लिए उसके अनुकूल पक्ष को पकड़ कर उसकी अच्छाइयां बतलाइये ।
ऐसी स्थिति में विपरीत परिस्थितियां भी अच्छी हो जाएगी ।
पतंग का मंझा पूरी तरह से उलझा हुआ । लेकिन आपको अगर सुलझाना है तो उलझे मंझे में भी उसका छोर ढूंढते हैं ।और उसे पकड़कर बड़े इत्मीनान के साथ उस उलझन से धीरे-धीरे निकालकर पूरा धागा, व्यवस्थित कर लेते हैं ।
इसी प्रकार जिंदगी की उलझन को भी सुलझाना है ।
पति हो या पत्नी, माता पिता हो या पुत्र,दोस्त कोई भी क्यों न हो, रिश्तों को सुलझाना है तो किसी भी बात पर आवेश में न आकर उसे बड़े इत्मीनान से सुलझाने की जरूरत है ।
जिस प्रकार बाहर से आने वाले पानी को फिल्टर करके पिया जाता है उसी प्रकार बाहर से किसी की सुनी सुनाई बात पर विश्वास करके किसी के प्रति उल्टी धारणा न करके उन दूषित विचारों की छानबीन की जरूरत है । मन को व्यर्थ के विचारों के कचरे से ना भरे । आपका दिमाग कचरा पेटी नहीं है ।
जब मोबाइल हैंग करने लगता है तो उसमें भरे मैटर को डिलीट मार देते हैं । वैसे ही जिन बातों से हमें मोह,द्वेश पैदा होता है जिन बातों से हमें इर्ष्या या क्रोध आने लगता है उन सब बातों को डिलीट मार दिया जाए । कृत पापों से मुक्ति पाने के लिए दिल से मिच्छामी दुक्कड़म बोलिए ।
पच्चीस,पच्चास वर्ष पहले 24 तीर्थंकरों के नाम 11 गणधरों के नाम, 16 सतियां जी के नाम बच्चे को माता पिता द्वारा सोते वक्त रटा दिए जाते थे । और हर दिन किसी न किसी तीर्थंकर की कहानी सुनाते थे ।
कभी चंडकौशिक से जुड़ी महावीर स्वामी की कथा तो कभी ऋषभदेव भगवान के वर्षीतप का पारणा, राजकुमार श्रेयांस के द्वारा कैसे हुआ । तो कभी चंदनबाला जी की कथा ।
इस प्रकार की कथाएं सुनाने से बच्चे का भाग्य खिलने लगता है। तभी आप देखिए पुराने लोग चौथी,पांचवी पढे भी होंगे तो भी करोड़ों रुपए कमा लिए और आज का बच्चा लंदन पढ़कर आया तो यहां आकर जॉब कर रहा है ।
इसलिए बाहरी पढ़ाई ही महत्वपूर्ण नहीं, इसके साथ तीर्थंकर भगवंतों के नाम एवं उनके जीवन प्रसंग भी पढ़ने एवं सुनने की जरूरत है ।
कांच के महल में एक कुत्ते को डाला चारों तरफ कुत्ते ही कुत्ते देखकर भौंकता भौंकता बेहोश हो गया ।
इसी महल में किसी आदमी को डाला गया तो वो अपना चेहरा सब तरफ देख देखकर खुश हो रहा है ।
इसी तरह दुनियां में रहकर दूसरों को देखकर अपनी कमजोरियां निकालिए और अपने में अच्छाइयां बढ़ाइये ।
किन्हीं बातों से परेशान होने की जरूरत नहीं । परमात्मा की भक्ति करके प्रसन्न रहना सीख जाइये तो बड़े-बड़े काम भी आसान हो जाएंगे ।
25 जनवरी को आचार्य प्रवर इंडस्ट्रीयल एरिया से 6 किलोमीटर का विहार कर पुन: सुंदरनगर स्थानक पधारे ।
यहां आकर जिंदगी एक भोर है सूरज की तरह निकलते रहिए पर प्रवचन दिया ।
मध्यान में णमोत्थुणं महिला जाप हुआ जिसमें करीब 75 महिलाओं ने जाप किया ।
सभी में जाप के प्रति विशेष उत्साह रहा ।
आचार्य प्रवर ने स्वयं ने णमोत्थुणं पाठ की विशेषता समझाई ।
आज दिल्ली के परम गुरुभक्त श्री अनील जी, मनीष जी,नमन जी, कर्ण जी जैन, एवं महिलारत्न दर्शना जी, बरखा जी आदि गुरु दर्शन के लिए उपस्थित हुए ।
आपके सारे परिवार की गुरुभक्ति विशिष्ट है ।
हर महीने दो महीने में दर्शनार्थ आते रहते हैं ।
श्री अरिहंतमार्गी जैन महासंघ सदा जयवंत हों