20 दिसंबर, खिलचियां जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म.सा.
20 दिसंबर, खिलचियां जैनाचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म.सा. दुंदुभी नाद श्लोक नंबर 32 गम्भीर-तार-रवपूरित-दिग्विभागस्- त्रैलोक्यलोकशुभसंगमभूतिदक्षः सद्धर्मराजजयघोषणघोषकः सन्, खे दुन्दुभिर्ध्वनति ते यशसः प्रवादी | गंभीर, तेज फिर भी मधुर आवाज से दसों दिशाओं को पूरित करने वाली तीन लोक के जीवों को शुभ सभागम की विभूति वैभव देने में सक्षम सुधर्म के राजा तीर्थंकर की यह …
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