1 जनवरी 2023
बाल न बांका होय
जैनाचार्य श्री ज्ञानचन्द्र जी म.सा.
कबीरदास जी का एक दोहा आता है
चक्की चले तो चलने दे
पीस पीस आटा होए
जो खूंटा के लागा रहे,
तो बाल न बांका होय ।
इस दोहे में यह समझाया गया है कि जो गेहूं पीसने वाली चक्की चलती है तो उसमें ऊपर के खड्डे़ में गेहूं डालते हैं और चक्की का पाट चलता है तो वो पीस पीसकर आटा हो जाते हैं । लेकिन उस चक्की में एकदम मध्य में एक लोहे का खूंटा होता है जिसके सहारे ऊपर का पाट घूमता है।
जो अनाज का दाना उस खूंटे के एकदम सटकर लगा रहता है तो उसकी पिसाई नहीं हो पाती वो बचा रहता है ।
ठीक इसी प्रकार जो व्यक्ति गुरु चरण शरण का आसरा लेकर रहता है जो धर्म की शरण में रहता है उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता ।
जिस प्रकार द्वारिका नगरी जल रही थी । सारे निवासी आग में जलकर भस्म हो रहे थे । एक भी बाहर निकल नहीं सकता था ।
ऐसी घोर सर्व विनाशी आग के जलते हुए भी बलराम एवं श्री कृष्ण का कुछ नहीं हुआ ।
क्यों नहीं बिगड़ा..?
क्योंकि उन्होंने द्वेपायन ऋषि के कोप को शांत करने के लिए बार-बार विनय पूर्वक माफी मांगी।
जिससे अभिशाप के बीच उन्होंने वरदान दे दिया और कहा कि द्वारिका तो जलेगी । लेकिन तुम दोनों बचे रहोगे ।
हुआ भी यही ।
इसलिए भव्य आत्मा को चाहिए कि गुरु की शरण में लगा रहे । संतो की सेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं है ।
संत दुनियां के सर्वोत्कृष्ट आधार हैं।
उनकी शरण में तप-त्याग-वैराग्य के साथ आने वाले का कभी कुछ नहीं बिगाड़ हो सकता ।
वो सदा सुरक्षित रहेगा ।
इस कलयुग में संतों की छांव ही महा मंगलकारी है ।
संतों के मंगल पाठ से हजारों हजार लोगों का मंगल हुआ ।
बड़े से बड़े संकटों से बचे हैं । ऐसे हजारों प्रसंग सुनने को मिलते हैं।
शास्त्रों में चार शरण बतलाई है
अरिहंते सरणं पवज्जामि
सिद्धे सरणं पवज्जामि
साहू सरणं पवज्जामि
केवली पण्णत्तं धम्मं सरणं पवज्जामि ।
इन चार शरण में अरिहंत और सिद्ध दो हमारे सामने नहीं हैं।
मात्र साधु ही हमारे सामने हैं।
साधु की शरण ही एक ऐसी शरण है जो हमें धर्म की शरण में लाकर अरिहंत-सिद्ध की शरण तक पहुंचा सकती है ।
अतः हर दिन साधु की शरण में जाना जरूरी है ।
अगर आपके शहर में संत हो तो प्रतिदिन मंगल पाठ अवश्य सुने।
यह न देखें कि वो किस संप्रदाय के हैं । कोई संप्रदाय के हो, मंगल पाठ तो भगवान का है ।
वो अवश्य सुने।
यह खासियत ब्यावर शहर के अंदर कट्टरवादियों को छोड़ दो तो जनसाधारण लोगों में देखी गई है वो सभी स्थानकों में जाकर संतो के दर्शन एवं मंगल पाठ सुनते हैं ।
जबकि बहुत से लोग, केवल अपने महाराज के जाते हैं ।
मेरे महाराज । वहीं जाऊंगा।
जबकि सिद्धांत यह है कि
मेरा है वो सत्य नहीं,जो सत्य है वो मेरा है ।
तथाकथित धुरंधर श्रावक थोड़ा तप, त्याग, धर्म,ध्यान क्या करने लगते हैं वो अपने आपको साधु से भी ऊंचा मान बैठते हैं।
जबकि साधु का एक नियम भी बड़े से बड़े गृहस्थ से पलना मुश्किल है ।
किसी भी गृहस्थ को कह दो कि जिंदगी भर तुम्हें पैदल चलना है तो कौन चलेगा । जिंदगी भर चौविहार करना हो तो कौन करता है केवल रात्रि भोजन छोड़ने वाले गृहस्थ को भी महत्यागी समझा जाता है ।
जबकि साधु तो चौविहार करते हैं।
चाहे पैदल चल रहे हो या फिर समय-समय पर आहार मिल रहा हो या नहीं । शाम को चौविहार करना अनिवार्य है ।
एक पैसा जिनके पास नहीं होता, फिर भी काम चलता है ।
एक ही ड्रेस को 10 दिन 20 दिन 30 दिन उससे भी अधिक दिनों तक पहनते हैं । तब कहीं वो स्वयं ही धोते हैं ।
साधु 24 घंटे संवर-सामायिक में रहते हैं । आप किसी भी साधु से पूछो तो आपको ज्यादातर साधु अपने जीवन में तेला, अट्ठाई,पन्द्रह, मासखमण लंबी-लंबी तपस्या किए हुए मिलेंगे ।
जबकि गृहस्थ दो चार पौषध क्या कर ले, अपने आपको महान समझने लगते हैं ।
कितना भी ऊंचा श्रावक हो वो साधुता की बराबरी किसी भी स्थिति में नहीं कर सकता है ।
भगवान ने साहू शरणं पवज्जामि बतलाया । श्रावक शरणं पवज्जामि नहीं ।
इसलिए आप अहो भाव, अनुकंपा भाव, जैसे भी हो सेवाभाव अपनाईये और मंगल पाठ अवश्य सुने ।
पाद विहारी साधु साध्वी कभी भी आपको मार्ग में चलते मिल जाए तो रुक कर उनका सम्मान करें, सुख साता पूछें । उनकी मर्यादोचित जो भी सेवा हो, उसका विवेक अवश्य रखें ।
कई बार पैदल चलते किसी साधु को बुखार आ सकता है, पैरों में चोट लग सकती है ।
साध्वियां जी को सुरक्षा की जरूरत पड़ सकती है ।
और उस वक्त आपका पहुंचना आपके भाग्य के लिए वरदान बन सकता हैं ।
रोड पर चलने वाले साधु को किसी संप्रदाय की नजर से न देखकर जैन साधु की नजर से देखें ।
उनकी सेवा एक ढंग से महावीर स्वामी की सेवा है ।
साधु जब शहर में जाते हैं तब अलग-अलग मान्यता वाले श्रावकों के निर्मित भवनों में जाते हैं, तब साधु,उन उन संप्रदाय के हो जाते हैं ।
जब तक पानी तालाब में है,तब तक तालाब का है जब मटकियों में भरकर अलग-अलग घरों में चला जाता है तब वो उन उन घरों का हो जाता है ।
यहीं स्थिति यहां भी है।
नववर्ष के इस अवसर पर हमारा शरणा साधु का हो, वही मंजिल तक पहुंचाएगा ।
आज आचार्य प्रवर ने कर्मठ व्यक्तित्व नररत्न श्री नेमचंद जी तातेड़ की संघ निर्माण से की गई सेवाओं का याद किया । और वे समाधि मरण पूर्वक इस दुनियां से महाप्रयाण कर गए ।
उन सब बातों को याद करते हुए उन्हें ” अरिहंत वीर” के विशेषण के रूप में संबोधित किया ।
आचार्य प्रवर ने नव वर्ष पर शिक्षा देते हुए आगे बतलाया कि-
■ जितनी देर में बुरी बात कही जा सकती है
उतनी देर में अच्छी बात भी कही जा सकती है
■ हमारा सलाहकार कौन है- ये बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि दुर्योधन शकुनी से सलाह लेता था और अर्जुन श्री कृष्ण से ।
■ सरल बनो,स्मार्ट नहीं ।
क्योंकि हमें ईश्वर ने बनाया है
सैमसंग ने नहीं ।
■ दुआ दिल से मांगी जाती है
जबान से नहीं ।
क्योंकि कबूल तो उसकी भी होती है
जिसके जुबान नहीं है।
■ धर्म,धन से उत्तम है, क्योंकि धन की तो तुमको रक्षा करनी पड़ती, जबकि धर्म तुम्हारी रक्षा करता है
धर्म प्रभावना
राष्ट्रीय संयोजक श्री पवन जी जैन आचार्य प्रवर के प्रवचन के बाद सभा को संबोधित करते हुए कहा कि श्री नेमचंद जी तातेड़ की सेवाएं वाकई अविस्मरणीय हैं ।
हम गुरुकृपानुसार उनके सम्मान में उनके परिवार को “अरिहंत वीर” का सम्मान समर्पित करेंगे ।
वो जैनदूत के संस्थापक और हमारे महासंघ के फाउंडर सदस्य रहे हैं ।
इसी के साथ पवन जी ने श्री धर्मवीर जी को, गौशाला में निर्धारित जमीन से भी अधिक जमीन की रजिस्ट्री कराने को ध्यान में रखते हुए आधार संरक्षक का मोमेंटो देकर सम्मान किया।
इसी तरह अरिहंतरत्न श्री रतनलाल जी साहब एवं मंडी रोड के चेयरमैन श्री पृथ्वीराज जी साहब की सेवाओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें भी सम्मानित किया ।
श्री रतनलाल जी साहब द्वारा दर्शनार्थियों की आवास-निवास भोजन आदि की शानदार व्यवस्था रही ।
सभी दर्शनार्थियों को प्रवचन श्रवण कराना, जाप करवाना, धर्म साधना तो हुई ही । इसी के साथ 1 जनवरी के एंटरटेनमेंट के रूप में अमृतसर, जलियांवाला बाग, गोल्डन टेंपल ले जाना आगे अटारी बॉर्डर दिखाना, सागर रत्ना रेस्टोरेंट में सभी का खाना ।
होटल में ठहराना ।
आदि करके 1 जनवरी को आध्यात्मिक एवं भौतिक दोनों तरह से मनाया गया ।
आप द्वारा वर्षों पूर्व की की गई जालंधर में महासंघ की मीटिंग में जो शानदार सेवाएं की वो आज भी याद है ।
आपका सारा परिवार दर्शनार्थियों की सेवा में लगा रहा ।
आज के प्रवचन में समागत सभी श्रोताओं की गौतम प्रसादी की व्यवस्था सागर रत्ना में की गई।
जाने वाले सभी को शाम का खाने का पैकेट भी दिया गया।
याने सब तरह की व्यवस्था जमाई गई ।
श्री रतनलाल जी की गुरुभक्ति, निष्ठा, समर्पणा सराहनीय है ।
आज 1 साल में 1500 सामायिक करने का नियम गुणमाला जी ने, 1000 का मूर्ति देवी जी, 900 का विनोद जी ने, 900 का वीर शक्ति जी ने, 500 श्री प्रोमिला जी जैन ने, 400 जयश्री हीरावत आदि अनेकों ने नियम लिया।
इसके अलावा भी कई नियम लिए गए ।
और लक्की ड्रा से नियम और परिणाम निकालने का भी एक नया सिस्टम आचार्य प्रवर द्वारा निकाला गया ।
जालंधर गौशाला के लिए बोलते हुए आधार संरक्षक श्री अर्पण जी जैन ने कहा कि काम तेजी से चल रहा है । करीब प्राप्त दानराशि से भी 6 लाख अधिक लग चुके हैं।
अभी कम से कम 15 लाख और लगने हैं ।
आप सभी के दान की आवश्यकता है ।
जीव दया से बड़ा कोई काम नहीं।
पूरे पंजाब जैन समाज की यह पहली गौशाला होगी ।
आज जलगांव से ललिता श्री श्रीमाल, दिल्ली से सुनीता जी जैन ने भी विचार रखे और कहा कि जो गुरुदेव के चरणों में आ गया प्रवचन श्रवण कर लिया उसकी सोच बदल जाती है,भाग्य खिल जाता है यह मेरा स्वयं का अनुभव है ।
राष्ट्रीय संयोजक श्री पवन जी जैन ने भी दिल्ली शीघ्र पधारने की विनंती प्रस्तुत की ।
अभिजीत त्रिपाठी द्वारा सभा का संचालन किया गया ।
आज नररत्न श्री किशोर जी मेहता महिलारत्न श्रीमती आशा जी मेहता गुरु चरणों में उपस्थित हुए । जालंधर से भारी संख्या में लोग उपस्थित हुए ।
दिन भर आते चले गए जिनका संकलन संभव नहीं ।
जीरा, जंडियाला, अंबाला, लुधियाना, होशियारपुर, जींद, दिल्ली, मुंबई,जयपुर, जलगांव, विजयनगर, बीकानेर, गंगाशहर, देशनोक, ब्यावर, जालंधर आदि पचासों गांवों के भक्तगण उपस्थित हुए ।
आज गौशाला में दान की कई घोषणाएं हुई ।
हमें जो दान राशि प्राप्त हुई उसी की लिस्ट बतला रहे हैं ।
अन्य भी घोषित दानराशि प्राप्त होने पर उनकी भी बतला दी जाएगी ।
आज प्राप्त दान राशि-सीमा जी अनिल जी जैन दिल्ली-5100
भंवरी बाईं जी हीरावत देशनाेक 1100
सुशील जी जैन दिल्ली 2100
सुरेश जी बंब जलगांव 2400
गोकुल चंद जी सुराना जलगांव 1700
कल्पना प्रमोद जी रायसोनी जलगांव 2500
सखी ग्रुप जलगांव 1500
लाजपत जी जैन दिल्ली 1000
गुप्त दान 1100
सौरभ जी जैन 500
संजय जी मधु जी सोनावत बीकानेर 7100
राजरानी जी जैन दिल्ली 1100
प्रिया जी जैन दिल्ली 500
हरीश जी जैन कपूरथला 1100
महावीर जी जैन दिल्ली 1100
गुप्त दान 5100
गुप्त दान 1100
कैलाश नगर संघ दिल्ली 1100
रेनू जी मनोज जी जैन दिल्ली 24000
गुप्त दान 1100
Mukesh Parekh 1000
Sumeet Parekh 1000
Jyotsna pareek 1000
Miyi pareek 1000
Vihana Parekh 1000
जिस किसी का भी नाम दान में रह गया है वह तुरंत सूचित करें ताकि आपका नाम लिया जा सकें। धन्यवाद ।
परम पूज्य आचार्य प्रवर 1 जनवरी को मध्यान्ह में सागर रत्ना से विहार कर श्री विनीत जी सौरभ जी जैन के निवास स्थान पर पधार गए है ।
शाम को और रात्रि में धर्म चर्चा हुई ।
30 दिसंबर जालंधर बाबा गज्जा जी पधारने की विनंती करने कार्यवाहक प्रधान अभय जी जैन,वाइस चेयरमैन विजय जी, कार्यवाहक महामंत्री श्री पविंद्र जी जैन, मंत्री श्री करण जी आदि पहुंचे और पधारने की विनंति की ।
सभी पाठकों का नववर्ष सुख शांति समृद्धिकारी हो ऐसी मंगलकामना करता हुं ।
अभिजीत त्रिपाठी
श्री अरिहंतमार्गी जैन महासंघ सदा जयवंत हों