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Sangh ka Vivaran

Shri Arihantmargi Jain Mahasangh is associated with the speech of Shri Arihant Devas. It is such a federation that takes us out of the streets of the sect and brings us to the Rajpath of the Arihants.

The name Arihant is such a meaningful name that the five verses of the Navkar Mantra are easily included in it. Arihant not only come in the rank of Arihant, but Siddha also comes. Because in ‘Namothhunam Arihantanam Bhagavantan’ the words ‘Namothhunam Arihantanam’ remain the same even while giving Namothunam to Siddhas. Therefore, as a result, even siddhas can be called by the name Arihant.

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News & Events

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02-12-2021

Adi Thana-6 for overnight stay Virajit @sthan – the abode of Tilok Das ji Vaishnav, Piplaj, District-Ajmer (Raj.)

LATEST NEWS

परम पूज्य युगद्रष्टा आचार्य प्रवर श्री ज्ञानचंद्र जी महाराज साहब के सानिध्य में 30 अप्रैल को होने जा रही महिलारत्ना श्री नीलिमा जी जैन का जैन कांफ्रेंस विहार सेवा की ओर से शक्तिनगर में परम विदुषी वरिष्ठतम महासाध्वीरत्ना श्री ललिता श्री जी महाराज साहब के पावन आशीर्वाद के उपरांत भव्य स्वागत किया गया ।
जिसमें उनका जबरदस्त उत्साह रहा ।
इसी के साथ एस.एस जैन सभा शक्तिनगर एवं एस.एस महिला सभा शक्तिनगर के भाई बहनों ने भी भव्य स्वागत किया ।
श्री अरिहंतमार्गी जैन महासंघ दिल्ली के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस भव्यता को और अधिक गरिमा प्रदान की ।
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इंदौर में परम विदुषी तरुण तपस्विनी महासाध्वीरत्ना श्री शुचिता श्री जी महाराज साहब आदि के दर्शनार्थ मुमुक्षु महिलारत्न नीलिमा जी के पहुंचने पर वहां पर भाई बहनों ने भव्य स्वागत किया ।
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30 अप्रैल 2023 मुमुक्षुरत्न श्रीमती नीलिमा जी जैन की दीक्षा एस.एस.जैन सभा ऋषभ विहार दिल्ली के लिए स्वीकृत

20 फरवरी को यमुनानगर में दिल्ली ऋषभ विहार एस.एस.जैन सभा के पदाधिकारी प्रधान श्री अशोक जी जैन जयचंदा,महामंत्री श्री अशोक जी जैन,कोषाध्यक्ष श्री मनोज जी जैन,सहकोषाध्यक्ष विकास जी जैन एवं अनिल जी जैन अपनी कार्यकारिणी की मीटिंग में पास करके कि,मुमुक्षु नीलिमा जी जैन दिल्ली की दीक्षा हमारे ऋषभ विहार दिल्ली में हो।
परम पूज्य युगदृष्टा प्रकांड विद्वान आचार्य प्रवर श्री ज्ञानचंद्र जी महाराज साहब ने उनकी पुरजोर शब्दों में लिखित एवं मौखिक विनंती को ध्यान में रखते हुए रखे जाने वाले सभी आगारों के साथ एवं दीक्षार्थी परिवार का भी एक आगार रखते हुए जमुनापार श्री एस.एस.जैन सभा ऋषभ विहार दिल्ली के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी है ।
सभी में हर्ष हर्ष छा गया ।
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22 फरवरी यमुनानगर में कांधला निवासी सुश्री पारूल जी जैन की दीक्षा घोषित
आज परम पूज्य आचार्य प्रवर श्री ज्ञानचंद्र जी महाराज सा.ने मुमुक्षु सुश्री पारुल जी जैन की 22 फरवरी को एस.एस.जैन सभा यमुनानगर में दीक्षा होने की संभावना घोषित कर दी है ।
जिससे संघ में हर्ष छा गया ।

जय गुरु ज्ञान
महिलारत्न श्री नीलिमा जी जैन दिल्ली की
30 अप्रैल रविवार के लिए दिल्ली हेतु दीक्षा घोषित

श्रीमती नीलिमा जी जैन के पति एवं श्री अरिहंतमार्गी जैन महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक श्री पवन जी जैन ने परम पूज्य युगद्रष्टा प्रकांड विद्वान आचार्य प्रवर श्री ज्ञानचंद्र जी म.सा. के सत्सानिध्य में 30 अप्रैल 2023 रविवार को दीक्षा देने की अंबाला महावीर भवन की प्रवचन सभा में लिखित घोषणा की। जिसे सुनते ही सारी सभा में हर्ष हर्ष छा गया।
दीक्षा कहां होगी यह अभी निर्धारित नहीं हुआ, समय के साथ घोषित हो सकेगा।
श्री पवन जी जैन ने दीक्षा के कार्यक्रम स्वयं के द्वारा हो, यह भावना दर्शायी।
लेकिन आचार्य प्रवर ने फरमाया कि आप तो सबसे बड़ा काम कर रहे हो।
श्री कृष्ण वासुदेव एवं श्रेणिक महाराज की याद दिला रहे हो। दीक्षा का कार्यक्रम सारी जैन समाज बल्कि जन समाज से जुड़ा हुआ होता है। अतः तदनुसार ही सोचने का प्रसंग है।
श्री अरिहंतमार्गी जैन महासंघ सदा जयवंत हों |

आगामी 2023 के चातुर्मास की घोषणा 
12 मार्च रविवार को, पानीपत दिल्ली रोड एंटीक आर्ट ऐक्सपोर्टस्   प्राइवेट लिमिटेड 78km माईलस्टोन जी.टी.रोड पर 
( अक्षय तृतीया दिल्ली परिसर में) 
परमपूज्य युगद्रष्टा, प्रकांड विद्वान, महायोगी आचार्य प्रवर श्री ज्ञानचंद्र जी म.सा. आदि संतरत्नों का होली चातुर्मास के अंतर्गत 11-12 मार्च को प्रबुद्ध जीवी धर्मनिष्ठ नररत्न श्री अशोक जी जैन के परिवार की भावना को ध्यान में रखते हुए उनकी फैक्ट्री एंटिक आर्ट ऐक्सपोर्टस् प्राइवेट लिमिटेड पर विराजने की संभावना है।
12 मार्च रविवार को वहीं पर श्री णमोत्थुणं जाप एवं प्रवचन के पश्चात 2023 के चातुर्मास की संभावित घोषणा भी कर सकते हैं। 
समय- प्रातः 10 से 11.30 तक । 
पश्चात सभी के गौतम प्रसादी की व्यवस्था रहेगी । 
आप सभी अवश्य अवश्य पधारें। इसके बाद दिल्ली की दिशा में विहार संभावित है।
 अक्षय तृतीया का प्रसंग दिल्ली में होना संभावित है‌।
 किस क्षेत्र में होगा यह अभी निर्धारित नहीं हुआ है|
 आप सभी अधिक से अधिक लाभ लेवें।
वर्षीतप के तपस्वी भाई-बहिन दिल्ली में आकर गुरु चरणों का लाभ लेवें। 
 11-12 मार्च विराजने का स्थल- श्री अशोक कुमार जैन एंटिक आर्ट ऐक्सपोर्टस् प्राइवेट लिमिटेड  78     km.माईलस्टोन पर जी.टी रोड,पो.कर्हंस,समालखा, dri.पानीपत जी.टी.रोड पर ।
 श्री मोहित जैन-9891110022  | श्री विपुल जैन-9999997754 | अभिजीत त्रिपाठी-8329327418

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Aacharya Shree Gyanesh Jeevan Parichay

At the time of Nirvana of Lord Mahavira, from 527 BC to the next 600 years, there have been many teachers in the Jain Sangh and they have contributed immensely to the development of Jainism on the basis of their spiritual practice and knowledge. After his nirvana, Ganadhar Indrabhuti Gautam and Gandhara Arya Sudharma provided leadership to the Jain Sangh.After this, Arya Jambuswami has become the last master of knowledge, who gave impetus to the leadership of the Jain Sangh. Both the main traditions of Jainism give acceptance to these three masters with only knowledge. After this, the details of the influential Acharyas who have been in the tradition of Jainacharyas are different in the Shwetambar and Digambar traditions.From the point of view of comparison, the names of Jainacharyas available in the literature of both the traditions and the details of their sadhana period are presented here. First of all, according to the accepted Prakrit text Kalpasutra in the Shvetambara tradition, the names of the main ancient Jainacharyas are as follows:

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